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जुलाई, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वह अदभुत प्रकाश पुंज ! That Amazing light beam

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सुबह का समय | मैं ऋषिकेश में गंगा तट पर बालू के उपर टहल रहा था | निर्विचार अपने में हीं मुग्ध ! सुंदर दृश्य का अवलोकन कर रहा था | कल कल करती माँ गंगा | किनारों पर दूर तक  रेत  बिखरा हुआ | मन को मुग्ध कर देने वाले विशाल पर्वत | कभी कभी कानों में मन्त्रों तथा घंटों की  ध्वनियाँ गूँज जाती थी | और कभी  नथुनों में सुगन्धित वायु प्रवेश कर जाती थी | गंगा के किनारे बालू पर  आसन बिछा कर कुछ  साधक विभिन्न आसनों का प्रैक्टिस कर रहे थें , तो कुछ ध्यान लगा कर बैठे थे |        मैं भी अपने आप में मुग्ध था और ध्यान करने की सोच रहा था | एक चट्टान पर मैं बैठ गया और आँखें बंद कर के ध्यान करने की चेष्टा करने लगा | आँखें बंद करने पर कुछ देर कुछ कल्पनाएँ तंग करती रहीं | किन्तु प्रयास पूर्वक ध्यान लगाने की चेष्टा करने लगा | सर्व प्रथम आँखे बंद कर के ध्यान को दोनों आँखों के मध्य भ्रू मध्य में स्थिर करने की कोशिश करने लगा | धीरे धीरे प्रयास से मेरी सारी चेतना सिकुड़ कर भ्रू माध्यों में स्थिर हो गयी | मैं प्रयास पूर्वक ध्यान को करीब दस मिनट वहीँ स्थि...

Meditation Breath Awarness ( Hindi ) Guided

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वह जादुई एहसास ! That magical feeling

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वह जादुई एहसास ! आधी रात्री का समय था नींद नहीं आ रही थी | मन था जो विभिन्न कल्पनाओं के हिलोरें ले रहा था | कभी सुखद कल्पनाएँ तरोताज़ा करती तो कभी दुखद कल्पनाएँ गमगीन कर जातीं | कल्पनाएँ भी कैसी या तो भूत में घटी घटनाओं की या फिर भविष्य की मधुर कल्पना | इन्हीं कल्पनाओं के उधेड़बुन में पड़ा मैं लेटा हुआ था कि न जाने क्या सूझा एक लम्बी गहरी साँस मैंने खिंची | अदभुत शान्ति का अहसास हुआ | मैं बिलकुल चौक गया | मैं  उस शान्ति के प्रति सजग हो गया | मैंने एक और गहरी लम्बी साँस खिंची | मन और शांत हो गया | मैं उस शान्ति को मह्शूश कर सकता था | मैं अपने साँसों के प्रति सजग हो गया | सारी सुखद एवं दुखद कल्पनाएँ न जाने कहाँ छू मंतर हो गएँ | मैं अब अपनी साँसों के प्रति होश से भर गया | नासिका से साँस लेना साँस का श्वासनली से होते हुए फेफड़ों के मध्य में जाना , फिर वापस साँसों का श्वासनली से होते हुए नासिकाओं से निकलना | मैं मह्शूश कर सकता था | श्वास लेते वक्त श्वास की शितलता तथा श्वास छोड़ते हुए श्वास की गर्माहट मैं मह्शूश कर सकता था |        अंततः अदभुत शान्ति में मै...

विराट में प्रवेश के सूत्र

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ऊर्जा के क्षेत्र में प्रवेश करेंगे जब आप तब कुछ भी और कुछ की भी सुध बुध न रह जायेगी आपको | खो  हीं जायेंगे | बिलकुल भिन्न जगत है चेतना का | आप उसकी तुलना इस धरा पर किसी भी चीज से नहीं कर सकते | बस तैयारी होनी चाहिए उस जगत में प्रवेश करने का |        अब सवाल है कि उस जगत में कैसे प्रवेश करें | इतेफाक से संजोग से वह विराट चेतना बहुत हीं ऐसे अवसर प्रदान करती है , हमें ऊर्जा के जगत में प्रवेश करने का | आपके निजी  जीवन में ऐसे अनेकों अवसर आयें होंगे जरा स्मरण करें |  किन्तु तैयारी के साथ प्रवेश करना जरा भिन्न बात है | आपको अपने मन को तैयार रखना होगा उस जगत में प्रवेश हेतु | भय सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न करेगी उस जगत में प्रवेश हेतु | इसलिए भय को तो बिलकुल त्याग हीं देना होगा | पूर्ण समर्पण रखना होगा उस विराट के प्रति | तब कहीं जा कर प्रवेश होगा उस विराट चेतना में | विराट चेतना में प्रवेश हेतु युक्तियाँ हैं जो अगले अंक में प्रेषित करूँगा | ॐ शान्ति

गहन चेतना

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चेतना की गहनता से जो आनन्द  उपलब्ध  होता है उसका कोई तालमेल नहीं | गहन चेतना में क्या क्या छुपा हुआ है कहा नहीं जा सकता | असीम संभावनाएं हैं इसकी | गहन चेतना में जब आप डूबे होते हैं तब यह ऐसा महासागर है जहाँ से आप अनमोल हीरे मोती निकाल सकते हैं | गहन चेतना हीं आपका मूल स्वभाव है | जब आप घोर निराशा में हों तब समाधान के लिए अपने गहन चेतना की गोद में आयें | यह आपको बहुत हीं प्रेम से अपने गोद में सर रखने की सुविधा देता हुआ आपके बालों को सहलाता हुआ आपको प्रेम से समाधान सूझाता है | अदभुत शान्ति का अहसास दिलाता है यह आपकी चेतना | जब आप गहन चेतना में डूबे होते हैं तब आपका नौकर आपका मन कहीं दूर दूर तक नहीं दिखाई देता | मन ऐसा नौकर है या यूँ कहें नौकरशाह है जो हमेशा आपके उपर हावी रहता है | है तो यह नौकर किन्तु मालिक बन बैठता है | यहीं से समस्या शुरू होती है | गहन चेतना में डूबने पर मन भाग जाता है याद रखें भाग जाता है भगाना नहीं पड़ता | गहन चेतना में डूबने के बाद  आप कह उठेंगे miracle are possible जी यकीन मानिए The joy that comes from the depths of consciousness are incompatible...