वह अदभुत प्रकाश पुंज ! That Amazing light beam

सुबह का समय | मैं ऋषिकेश में गंगा तट पर बालू के उपर टहल रहा था | निर्विचार अपने में हीं मुग्ध ! सुंदर दृश्य का अवलोकन कर रहा था | कल कल करती माँ गंगा | किनारों पर दूर तक रेत बिखरा हुआ | मन को मुग्ध कर देने वाले विशाल पर्वत | कभी कभी कानों में मन्त्रों तथा घंटों की ध्वनियाँ गूँज जाती थी | और कभी नथुनों में सुगन्धित वायु प्रवेश कर जाती थी | गंगा के किनारे बालू पर आसन बिछा कर कुछ साधक विभिन्न आसनों का प्रैक्टिस कर रहे थें , तो कुछ ध्यान लगा कर बैठे थे | मैं भी अपने आप में मुग्ध था और ध्यान करने की सोच रहा था | एक चट्टान पर मैं बैठ गया और आँखें बंद कर के ध्यान करने की चेष्टा करने लगा | आँखें बंद करने पर कुछ देर कुछ कल्पनाएँ तंग करती रहीं | किन्तु प्रयास पूर्वक ध्यान लगाने की चेष्टा करने लगा | सर्व प्रथम आँखे बंद कर के ध्यान को दोनों आँखों के मध्य भ्रू मध्य में स्थिर करने की कोशिश करने लगा | धीरे धीरे प्रयास से मेरी सारी चेतना सिकुड़ कर भ्रू माध्यों में स्थिर हो गयी | मैं प्रयास पूर्वक ध्यान को करीब दस मिनट वहीँ स्थि...