सुबह का समय | मैं ऋषिकेश में गंगा तट पर बालू के
उपर टहल रहा था | निर्विचार अपने में हीं मुग्ध ! सुंदर दृश्य का अवलोकन कर रहा था
| कल कल करती माँ गंगा | किनारों पर दूर तक
रेत बिखरा हुआ | मन को मुग्ध कर
देने वाले विशाल पर्वत | कभी कभी कानों में मन्त्रों तथा घंटों की ध्वनियाँ गूँज जाती थी | और कभी नथुनों में सुगन्धित वायु प्रवेश कर जाती थी | गंगा
के किनारे बालू पर आसन बिछा कर कुछ साधक विभिन्न आसनों का प्रैक्टिस कर रहे थें ,
तो कुछ ध्यान लगा कर बैठे थे |
मैं
भी अपने आप में मुग्ध था और ध्यान करने की सोच रहा था | एक चट्टान पर मैं बैठ गया
और आँखें बंद कर के ध्यान करने की चेष्टा करने लगा | आँखें बंद करने पर कुछ देर
कुछ कल्पनाएँ तंग करती रहीं | किन्तु प्रयास पूर्वक ध्यान लगाने की चेष्टा करने
लगा | सर्व प्रथम आँखे बंद कर के ध्यान को दोनों आँखों के मध्य भ्रू मध्य में
स्थिर करने की कोशिश करने लगा | धीरे धीरे प्रयास से मेरी सारी चेतना सिकुड़ कर
भ्रू माध्यों में स्थिर हो गयी | मैं प्रयास पूर्वक ध्यान को करीब दस मिनट वहीँ
स्थिर रखा | कोई अनुभव न होने की स्थिति में मैं डिगा नहीं ध्यान को वहीँ स्थिर
रखा | कुछ देर में परिणाम मिला | देखता हूँ एक बहुत हीं सूक्ष्म प्रकाश पुंज बिलकुल सरसों के दाने के बराबर दोनों भ्रू मध्य
के बिच उत्पन्न हुआ | मैं धीरे धीरे उसमे खोने लगा | कुछ हीं देर में वह प्रकाश
पुंज बढ़ने लगा | और बढ़ते बढ़ते मेरे सारे
शरीर को ढक लिया | आनन्द की लहरें हिलोरें लेने लगी | अब वह प्रकाश पुंज मेरे शरीर तक हीं सिमित न रहा | वह प्रका.श पुंज फैलने लगा | वह फैलता चला गया | पर्वत , माँ गंगा
, सारे लोग उस प्रकाश पुंज में ढके दिखाई देने लगें | वह प्रकाश पुंज फैलता हीं
चला जा रहा था | सारा विश्व उससे ढका दिखाई देने लगा | सारे अन्तरिक्ष में वह
प्रकाश फैला दिखाई देने लगा | मैं उसमे हीं खोया रहा | घंटों खोया रहा | फिर धीरे
वह प्रकाश पुंज सिमटने लगा | सिमटता गया सिमटता गया | पुन : अपने छोटे रूप में
दोनों भ्रू मध्यों के बीच दिखाई दिया और लुप्त हो गया |
मैं
हैरान उसे समझने की कोशिश करने लगा |
नोट : यह एक ध्यान प्रयोग है | इसे करने के पूर्व
अपने बगल में घंटे भर का अलार्म अवश्य सेट
कर लें |
That Amazing light beam .
Great morning time . I was walking up sand on the banks of the
Ganges in Rishikesh . In my Without thought the enchanted . I observed beautiful
scene ………
First with your
eyes closed to focus both eyes began to try to stabilize in mid center of eye
brow . by my effort my whole consciousness gradually shrink and became stagnant in eye brow . In the absence
of any experience there as I kept not deterred attention . After sometime I got result . I saw a light beam in mid of my eye brow size
was just a mustard . I'm slowly started drowning in it . After some
time light beam was growing . And cover my whole body . Waves of joy began to
undulate . Now the light beam is not limited to my body . The light beam began
to spread . It spread . Mountain, Mother Ganga, many people begin appearing
covered in the light beam . It was traveling light beam spreads . The whole world seemed to be covered by in the
same . It seemed to spread light in all space . I was immersed in it . After an hour Then slowly It felt light beam
folding . Has been shrinking shrinking . And lastly it was disappear between my
Eye brow .
I think what was
it .
Note : It is a meditation
exercise . Please set one hour alarm before doing it . And keep beside you .
Courtesy : Translate
by Google
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